भोपाल. मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बुधवार को बच्चों के बीच अपना बचपन याद किया। सीएम हाउस के लॉन में उनके साथ क्रिकेट खेला। हर शॉट पर तालियां भी बटोरीं। खेल खत्म हुआ तो उन्हें अपने बचपन की शरारतें भी बताईं। बच्चों के गंभीर सवालों के जवाब भी दिए। संजीदगी से समझाया लिटरेट होने के साथ-साथ एजुकेट भी बनिए, ताकि मुश्किलों का हौसलों के साथ सामना कर सकें।
सवाल- सारे बच्चे डॉक्टर-इंजीनियर बनना चाहते हैं, कोई भी राजनीति में जाने की बात नहीं करता। क्या राजनीति वाकई बुरी है ?
जवाब- खुद मेरा बेटा नकुल चुनाव लड़ना नहीं चाहता था, दो माह लग गए तैयार करने में, राजनेताओं को अपनी छवि बदलना होगी
सवाल- आपने राजनीति को ही करियर क्यों चुना ?
जवाब- आज के युवाओं में राजनीति को लेकर बहुत निराशा है। मुख्यमंत्री बनने के बाद छिंदवाड़ा की लोकसभा सीट खाली हुई तो मैंने पार्टी के कई लोगों से चुनाव लड़ने को कहा? लेकिन, सबने कहा कि यहां से नकुल को चुनाव में उतारिए। आप विश्वास नहीं करेंगे, मुझे नकुल को चुनाव लड़ने के लिए तैयार करने में दो माह लग गए। सालों पहले जब मैंने राजनीति में जाने की बात की थी तो मुझे भी परिवार ने मना कर दिया था। सबका कहना था कि अच्छा-भला बिजनेस छोड़कर बेकार लाइन में जा रहे हो। एक बार मैंने अपने बेटे से कहा- मैं आज तुम्हें स्कूल लेने आऊंगा तो उसने साफ मना कर दिया। कहा- ‘मैं नहीं चाहता कि मेरे दोस्त आपको सफेद कुर्ते-पायजामे में देखें।’ राजनीति में कई बार आपको बहुत कुछ छोड़ना पड़ता है। यहां आपको जनता के लिए उदाहरण बनना होता है। इसके लिए हमें अपनी छवि बदलना होगी। मेरा मानना है कि हम सभी राजनेताओं को आत्मचिंतन करना चाहिए।
सवाल- हमारी तरह क्या आपको कभी मम्मी-पापा की डांट पड़ी और किस बात के लिए?
जवाब- पढ़ाई को लेकर मैंने भी बहुत डांट खाई है। मैं दून स्कूल (देहरादून) में पढ़ता था। गर्मी की छुटि्टयों में घर आता था तो किताबों को हाथ भी नहीं लगाता था। मम्मी डांटती थी तो कहता था- ‘अरे, कुछ दिन तो घर के मजे लेने दो।’ जब एक सप्ताह निकल जाता तो मम्मी फिर कहतीं- थोड़ी देर तो पढ़ाई कर लो। लेकिन, हम कहां सुनने वाले थे। रोज-रोज काेई न कोई बहाना मारकर निकल जाते। हॉस्टल आने से तीन दिन पहले हमारी पढ़ाई शुरू होती थी। रात में तीन बजे तक जाग-जागकर अपना होमवर्क पूरा करना पड़ता था।
सवाल : कई शहर वायु प्रदूषण से जूझ रहे हैं। कैसे रोकेंगे?
जवाब- मप्र में दो प्रकार का वायु प्रदूषण है। पहला औद्योगिक, दूसरा वाहन प्रदूषण। औद्योगिक प्रदूषण अभी काफी
हद तक सीमित है। सरकार इस मामले में तमाम नियमों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है। ट्रैफिक प्रदूषण को रोकने के लिए हम मेट्रो ट्रेन ला रहे हैं। सरकार इलेक्ट्रिक व्हीकल को भी बढ़ावा दे रही है। हम ई-कार और ई-बस के
लिए सब्सिडी दे रहे हैं। धीरे-धीरे हमें अपने पूरे ट्रैफिक सिस्टम को बदलना होगा।
सवाल : फांसी की सजा के बाद भी बच्चों से ज्यादती नहीं रुक रही?
जवाब- महिलाओं या बच्चियों के प्रति अपराध केवल कानून या कठोर सजा से नहीं रुकने वाले। हम लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं। जब तक लोगों के मन में महिलाओं के सम्मान की भावना नहीं आती, तब तक इसे रोकना संभव नहीं है।
सवाल- आपकी हॉस्टल लाइफ कैसी थी?
जवाब- हॉस्टल में हमें बाहर जाने की अनुमति नहीं थी। पैसे भी नहीं होते थे। हम किताबों में पांच-पांच रुपए छिपाकर रखते थे। रात में कई बार हम छिप-छिपाकर हॉस्टल से बाहर जाकर कुछ खा-पीकर आते थे। ऐसे ही एक रात हमने टॉकीज में फिल्म देखने का प्लान बनाया। हमारी टोली फिल्म का मजा ले रही थी। तभी देखा कि वहां पहले से ही हमारे एक शिक्षक बैठे हैं। हम सबने सिर पर कैप लगाई हुई थी। वे पहचानने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन पहचान पाते, उसके पहले ही हम वहां से भाग लिए।
सवाल- राजनीति को ही कॅरियर क्यों बनाया?
जवाब- मैं इंदिराजी (गांधी) से बहुत प्रभावित था। संजय गांधी मेरे साथ पढ़ते थे। राजीव गांधी तीन साल सीनियर थे। हम एक अलग प्रकार की राजनीति करने आए थे। राजनीति के माध्यम से आप बहुत कुछ कर सकते हैं। मैं राजनीतिक पावर का इस्तेमाल देश, राज्य और आम जनता की भलाई के लिए करना चाहता था। आज भी उसी प्रयास में लगा हूं।
सवाल- क्या प्रदेश की बेटियां ओलिंपिक में मेडल ला सकेंगी?
जवाब- हम मप्र में खेलों को प्राथमिकता पर लाना चाहते हैं। सरकार इसके लिए सभी खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। छिंदवाड़ा की भावना डेहरिया को देखिए, वह दो माह में एवरेस्ट पर चढ़ गईं। हमने उनकी पूरी मदद की। हाल ही में वह अफ्रीका के किलिमंजारों पर्वत पर भी चढ़कर आई हैं।
सवाल- आदिवासियों की शिक्षा के लिए आप क्या कर रहे हैं ?
जवाब- मैं चाहता हूं कि आदिवासी जिलों में शिक्षा का स्तर इतना अच्छा हो जाए कि उन्हें पढ़ाई के लिए इंदौर-भोपाल जैसे शहरों तक न आना पड़े। प्रदेश के 89 आदिवासी ब्लाॅक सरकार की प्राथमिकता में हैं।
सवाल- बच्चों के लिए आपका कोई सपना है?
जवाब- मैं अपने राज्य के बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन दिलाना चाहता हूं। इसके लिए हम प्राइमरी स्तर से ही सुधार की शुरुआत कर रहे हैं। तीन सप्ताह के अंदर मप्र मिशन एजुकेशन शुरू करने वाले हैं। इसके बाद हम कॉलेज स्तर की शिक्षा का स्तर भी सुधारने का प्रयास करेंगे। लिटरेट होने में और एजुकेट होने में बहुत फर्क है। आपको एक उदाहरण बताता हूं- इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट एक लड़का इंटरव्यू देने पहुंचा। उससे कहा गया कि राइट योर रिज्यूम…वो नहीं लिख पाया। क्योंकि हमारे एजुकेशन सिस्टम में प्रैक्टिकल नॉलेज जीरो है।
बच्चे ने पूछा- हर दिन ट्रैफिक जाम क्यों?
सीएम का जवाब- ट्रैफिक जाम, पार्किंग, छोटी सड़कें, सीवेज और गंदगी की समस्याएं शहरीकरण की देन हंै। आज बड़े शहरों की आबादी चार गुना तक बढ़ चुकी है, जबकि उनकी बुनियादी संरचनाएं आबादी में केवल 25% की वृद्धि के हिसाब से विकसित हुई थीं। कोई भी शहर अपनी क्षमता से ज्यादा आबादी का बोझ नहीं उठा सकता है। शहर के अंदर की सड़कों का निर्माण टू-व्हीलर के हिसाब से हुआ था, लेकिन आज सबके पास फोर-व्हीलर है। ऐसे में ट्रैफिक जाम तो होगा ही। मप्र में इस समस्या से निपटने के लिए दिल्ली-मुंबई की तर्ज पर सेकंड लेवल के शहरों को विकसित करना होगा, बिल्कुल वैसे ही जैसे दिल्ली में नोएडा व गुड़गांव और मुंबई में नवी मुंबई को विकसित किया गया है।
सवाल- प्रदेश का हर स्कूल आनंद स्कूल बनेगा?
जवाब- हर स्कूल को आनंद स्कूल बनाना तो व्यावहारिक तौर पर संभव नहीं है, लेकिन हर स्कूल की शिक्षा का स्तर बेहतर करने का हम लगातार प्रयास कर रहे हैं। हम चाहते हैं कि हर स्कूल अपने विद्यार्थियों को सर्वश्रेष्ठ शिक्षा दे। हमारी सरकार शिक्षा की बेहतरी के लिए गंभीरता से काम कर रही है। जल्द ही परिणाम नजर आएंगे।
इन बच्चों ने पूछे सीएम से सवाल...
शुभम चौरसिया, पलक जैन, विधान दुबे, शताक्षी त्यागी, शैलेयी टंडन, पीयूष मिश्रा, प्रथम अग्रवाल, वैदिक पाराशर, विनीता राठौर, अनुष्का चतुर्वेदी।
क्विज कॉम्पटीशन के जरिए चुने गए प्रदेश के 30 बच्चों को मिला सीएम से रूबरू होने का मौका
प्रदेशभर के इन 30 बच्चों को सीएम आवास पर बुलवाया था। इनमें दूर-दराज के सरकारी स्कूलों के बच्चे भी शामिल थे। इनका चयन क्विज कॉम्पटीशन के जरिये हुआ था। सीएम से मिलने वालों में प्राची धुर्वे (छिंदवाड़ा), अंजलि मर्सकौले, कीर्ति उइके (बैतूल), एकता बामनिया (झाबुआ), स्नेहा सिंह (शहडोल), पूजा मौर्य, लक्ष्मी तोमर (आलीराजपुर), विनीता राठौर, वैदिक पाराशर, मानस अग्रवाल, भव्य झारिया (खंडवा), भास्कर साहू, शुभम चौरसिया (सागर), पर्व कंचन, पीयूष मिश्रा (उज्जैन), विपुल पंड्या, आदित्य तिवारी (रतलाम), विधान दुबे, शीर्ष चौकसे (होशंगाबाद), संजीव गौर, शैलेयी टंडन (ग्वालियर), प्रथम अग्रवाल, सिद्धांत संगामनेरकर (इंदौर), आयुष सूर्यवंशी, अनुष्का चतुर्वेदी, दृष्टि श्रीवास्तव, पलक जैन, शताक्षी त्यागी, ओम मरवाहा और ओनिशा मुराब (भोपाल) शामिल थे।